Saturday, January 29, 2011

गुफ़्तगू


सबसे पहले आप लोग, जो यहाँ अपनी रचनायें बाँटते या पढ़ते हैं, यकीनी तौर पर किसी न किसी ढंग से अपनी और दूसरों की ज़िन्दगी खुशनुमा बना रहे हैं .. मेरी गुज़ारिश हैं की सभी यह आगे भी करते रहें !

मैं आज अपनी एक दुविधा सुलझा रहा था तो सोचा की इसे ब्लॉग पर भी रखूं -

"सुख या ख़ुशी के क्या मायने है ?"

सवाल बड़ा सीधा सा है पर शायद जवाब कठिन, इसके कई जवाब हो सकते हैं, लेकिन मेरा सबसे नजदीकी हल क्या है !

मुझे ख़ुशी अक्सर नये नये पोशाकों में नज़र आती हैं ..


कभी guitar के chords में, कभी मेरी अधपकी नज्मों में, यूँ ही भटकने में, खोज में, फोटोग्राफी में, कुछ नया करने में, पढ़ने में, 'अक्स-ए-ज़ाना' होने में, यादों में, माँ की डांट में, पापा की मुस्कान में, मौसीक़ी में, गुलज़ार में, अकेलेपन में भी .. और भी बहुत कुछ है, लेकिन सबका ज़िक्र करना मुनासिब नहीं !

पर इतना ज़रूर कहना चाहूँगा की हम सब में ख़ुशी मुसलसल तौर पर चलती हैं, बस उसे पहचानने की देरी हैं और अपनी ख़ुशी आप ही खोज सकते हैं. पिछली गलतियों को आज पर पाँव न रखने दे. अगर कुछ बुरा हो तो उसे माफ़ कर, भूल जाये .. ऐसा कर आप सिर्फ अपने मन को मुक्त करते है, बेवजह के ख्यालों से, वैसे भी हमेशा के लिये तो कुछ नहीं रहता, 'मैं' भी नहीं, हैं ना !

अगर संक्षेप मे कहना चाहूँ तो "मानसिक शांति", बिलकुल भी गलत ना होगा. जो भी काम या चीज़ आपको सुकूं दे .. वो ही आपकी ख़ुशी है, सुख है और हाँ, वो ही आपका प्यार भी हैं !

तो आज का दिन ख़ुशी मनाइये, अपनी किसी ख़ुशी के साथ ;)
., सुख मिलेगा, अच्छा महसूस करेंगे :)