जितना सह सकूँ उससे ज्यादा तेरी कमी महसूस की है
किसी याद में भी नहीं पाता कि मैं भूला तुझे कभी
चाँद जल्दी अब्र पे सज गया आज, जैसे तुम्हें ढूँढने आया हो
सारा घर पलट कर देखा मैंने, हर सामान पर तेरा अक्स है
छूकर देखा तो हाथों में सीलन का एहसास पाया
., वो ज़रूर तेरी नम आँखों का ही लम्स होगा
ये धागा भी अब टूटने आया, गोया कि झूठ कहा हो पंडित ने
जब हमें साथ बांधने, दोनों को लाल मौली दी थी उसने
तुम मुझ पर भरोसा नहीं रखती, जानता हूँ लेकिन फिर भी
अगर कुछ ख़ास न करो तो, उस ब्राहमण की बात रखने ही आओ
देर शाम दूसरी सालगिरह है हिज़्र की
सोचा इस बरस साथ ही मना लें ..
तुम्हारे पास रहने सिवा भी हसीं तोहफ़ा, अब क्या होगा !
किसी याद में भी नहीं पाता कि मैं भूला तुझे कभी
चाँद जल्दी अब्र पे सज गया आज, जैसे तुम्हें ढूँढने आया हो
सारा घर पलट कर देखा मैंने, हर सामान पर तेरा अक्स है
छूकर देखा तो हाथों में सीलन का एहसास पाया
., वो ज़रूर तेरी नम आँखों का ही लम्स होगा
ये धागा भी अब टूटने आया, गोया कि झूठ कहा हो पंडित ने
जब हमें साथ बांधने, दोनों को लाल मौली दी थी उसने
तुम मुझ पर भरोसा नहीं रखती, जानता हूँ लेकिन फिर भी
अगर कुछ ख़ास न करो तो, उस ब्राहमण की बात रखने ही आओ
देर शाम दूसरी सालगिरह है हिज़्र की
सोचा इस बरस साथ ही मना लें ..
तुम्हारे पास रहने सिवा भी हसीं तोहफ़ा, अब क्या होगा !
No comments:
Post a Comment