Thursday, December 15, 2011

कश्मकश

इसी कश्मकश में है ज़िंदगी 
तुझे पा सकूं ना भूला सकूं 


मैं परेशां फिर इस दिल से हूं 
मैं तड़पना इसका ना सह सकूं 
ना मैं कह सकूं ना यूं रह सकूं 


बिन तेरे ये ज़ीस्त अब कैसे कटे 
ना मैं बढ़ सकूं ना मैं थम सकूं 


जो तुने भी ठुकरा दिया है 
मैं क्या करूं मैं ना जी सकूं 


तुने दे तो दी मुझे रुखसती 
पर क्या करूं मैं ना चल सकूं 


बड़ी तेज़ है हवा अभी 
मुझे थाम ले मैं ना गिर पडूं 


तू बुझा भी दे ये चांदनी 
कहीं यूं ना हो मैं जल मरूं 


जो दिया ये तुने है फैसला 
इसे कुछ भी ना मैं समझ सकूं 


किये वादे हमने थे साथ साथ 
उन्हें तन्हा कैसे मैं निबाह लूं 


तेरा ज़ख़्म कितना अजीज़ है 
इसे दिल से ना मैं मिटा सकूं 


पूर सुकून है ये ख़ामोशी 
कहूं तो लगे गुनाह करूं 


क्यों लगे है सच्चा ये सन्नाटा 
क्या उमर यूं ही मैं गुज़ार दूं



Monday, February 14, 2011

ज़मींदोज़

आधे अलसाये से दिन बाद
शाम एक ख्याल ने दस्तक दी
कहा आज कुछ इतर करते हैं
चलो किसी नये ज़ज़ीरे चलते हैं

आओ मेरा हाथ थाम साथ जुड़ो
वो देखो तुम जो किया ना हो
क्यूं ऐसे भारी मन रहते हो
किसकी जुस्तज़ू करते हो

दिल हल्का हो गया था शायद
.. मैं बता ना सका उस वक़्त
कैसे अपनी ही इक परवाज़ ने
., मुझे ज़मींदोज़ कर दिया है

Monday, February 7, 2011

हिज़्र

जितना सह सकूँ उससे ज्यादा तेरी कमी महसूस की है 
किसी याद में भी नहीं पाता कि मैं भूला तुझे कभी


चाँद जल्दी अब्र पे सज गया आज, जैसे तुम्हें ढूँढने आया हो 
सारा घर पलट कर देखा मैंने, हर सामान पर तेरा अक्स है
छूकर देखा तो हाथों में सीलन का एहसास पाया
., वो ज़रूर तेरी नम आँखों का ही लम्स होगा


ये धागा भी अब टूटने आया, गोया कि झूठ कहा हो पंडित ने 
जब हमें साथ बांधने, दोनों को लाल मौली दी थी उसने 
तुम मुझ पर भरोसा नहीं रखती, जानता हूँ लेकिन फिर भी
अगर कुछ ख़ास न करो तो, उस ब्राहमण की बात रखने ही आओ


देर शाम दूसरी सालगिरह है हिज़्र की 
सोचा इस बरस साथ ही मना लें ..


तुम्हारे पास रहने सिवा भी हसीं तोहफ़ा, अब क्या होगा !

Friday, February 4, 2011

कमरा


दीवारों की सीलन, छत की दरारें गिन जी उब गया
इस १२ x ८ के पिंजरे में दिन अब नहीं समाता
ये काली खिड़की भी शाम से, उदास रहती है
बेचैन रात करवटें लेती है ७ x ३ के बिस्तर पे
खटमल रेंगने लगते हैं हर वक़्त बदन पर मेरे

दाग़ी फ़र्श की तरह तुममें छिप जाऊं तो क़रार मिले

Thursday, February 3, 2011

झूला



दिन जलकर रात हो जाता है 
शामें अब नहीं हुआ करती 


दरवाज़े पे याद की दस्तक तेरी 
खामोशियां तोड़ जाती है मेरी


मन की सेज पर ख्याल बिछाना
नींदों के पाखी यूं ही रोज़ उड़ाना 


इक तेरे साथ का लम्हा था सजाना
कोशिशें की मैंने मगर वो ना माना


आंगन के झूले पर वक़्त ही नहीं बैठता
क्यूं कर ज़िद मेरी भला ये ना समझता

Wednesday, February 2, 2011

सिलसिला


रात कल बड़ी काली, लम्बी थी 
बेतरतीब, तुम्हारे बालों सी 

गेसू एक मेरे तकिये पे मिला भी 
महक तेल की अब तलक ज़िंदा थी

आ वो ख़ुश्बू ज़ेहन से लिपटी 
उसे है पहचान, तेरी याद की 

हैरान शक्ल बात कर हंसी 
देखा हो शायद मुझे कहीं

सरे वक़्त चला सिलसिला यही
गयी शब .. फिर मैं सोया नहीं

Saturday, January 29, 2011

गुफ़्तगू


सबसे पहले आप लोग, जो यहाँ अपनी रचनायें बाँटते या पढ़ते हैं, यकीनी तौर पर किसी न किसी ढंग से अपनी और दूसरों की ज़िन्दगी खुशनुमा बना रहे हैं .. मेरी गुज़ारिश हैं की सभी यह आगे भी करते रहें !

मैं आज अपनी एक दुविधा सुलझा रहा था तो सोचा की इसे ब्लॉग पर भी रखूं -

"सुख या ख़ुशी के क्या मायने है ?"

सवाल बड़ा सीधा सा है पर शायद जवाब कठिन, इसके कई जवाब हो सकते हैं, लेकिन मेरा सबसे नजदीकी हल क्या है !

मुझे ख़ुशी अक्सर नये नये पोशाकों में नज़र आती हैं ..


कभी guitar के chords में, कभी मेरी अधपकी नज्मों में, यूँ ही भटकने में, खोज में, फोटोग्राफी में, कुछ नया करने में, पढ़ने में, 'अक्स-ए-ज़ाना' होने में, यादों में, माँ की डांट में, पापा की मुस्कान में, मौसीक़ी में, गुलज़ार में, अकेलेपन में भी .. और भी बहुत कुछ है, लेकिन सबका ज़िक्र करना मुनासिब नहीं !

पर इतना ज़रूर कहना चाहूँगा की हम सब में ख़ुशी मुसलसल तौर पर चलती हैं, बस उसे पहचानने की देरी हैं और अपनी ख़ुशी आप ही खोज सकते हैं. पिछली गलतियों को आज पर पाँव न रखने दे. अगर कुछ बुरा हो तो उसे माफ़ कर, भूल जाये .. ऐसा कर आप सिर्फ अपने मन को मुक्त करते है, बेवजह के ख्यालों से, वैसे भी हमेशा के लिये तो कुछ नहीं रहता, 'मैं' भी नहीं, हैं ना !

अगर संक्षेप मे कहना चाहूँ तो "मानसिक शांति", बिलकुल भी गलत ना होगा. जो भी काम या चीज़ आपको सुकूं दे .. वो ही आपकी ख़ुशी है, सुख है और हाँ, वो ही आपका प्यार भी हैं !

तो आज का दिन ख़ुशी मनाइये, अपनी किसी ख़ुशी के साथ ;)
., सुख मिलेगा, अच्छा महसूस करेंगे :)